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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना
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श्लोक 41
श्लोक
8.12.41
श्रीशुक उवाच
एवं भगवता राजन् श्रीवत्साङ्केन सत्कृत: ।
आमन्त्र्य तं परिक्रम्य सगण: स्वालयं ययौ ॥ ४१ ॥
अनुवाद
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शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजा! वक्षस्थल पर श्रीवत्स-चिन्ह धारण करने वाले भगवान् द्वारा इस प्रकार प्रशंसित होकर भगवान् शिव ने उनकी परिक्रमा की। फिर उनसे आज्ञा लेकर भगवान् शिव अपने गणों सहित अपने धाम कैलाश लौट गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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