श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  8.12.4 
 
 
श्रीमहादेव उवाच
देवदेव जगद्वय‍ापिञ्जगदीश जगन्मय ।
सर्वेषामपि भावानां त्वमात्मा हेतुरीश्वर: ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  महादेवजी बोले : हे देवताओं में बड़े देव! हे सर्वव्यापी, विश्व के स्वामी! आपने अपनी शक्ति से स्वयं को सृष्टि में परिवर्तित कर लिया है। आप सभी चीजों के मूल और प्रभावी कारण हैं। आप भौतिक नहीं हैं। सचमुच, आप हर एक चीज की परम सजीव शक्ति या परमात्मा हैं। इसलिए, आप परमेश्वर हैं, अर्थात सभी शासकों का परम शासक हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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