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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना
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श्लोक 37
श्लोक
8.12.37
तमविक्लवमव्रीडमालक्ष्य मधुसूदन: ।
उवाच परमप्रीतो बिभ्रत्स्वां पौरुषीं तनुम् ॥ ३७ ॥
अनुवाद
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शिवजी को अडिग और लज्जा रहित देखकर भगवान विष्णु (मधुसूदन) बहुत प्रसन्न हुए। तब उन्होंने अपने असली रूप को धारण किया और इस प्रकार बोले।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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