श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  8.12.33 
 
 
यत्र यत्रापतन्मह्यां रेतस्तस्य महात्मन: ।
तानि रूप्यस्य हेम्नश्च क्षेत्राण्यासन्महीपते ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन! धरती पर जहाँ-जहाँ महापुरुष शिव का वीर्य गिरा, वहाँ-वहाँ बाद में सोने और चाँदी की खानें निकलीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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