श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  8.12.3 
 
 
सभाजितो भगवता सादरं सोमया भव: ।
सूपविष्ट उवाचेदं प्रतिपूज्य स्मयन्हरिम् ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान् ने शिवजी तथा उमा का अत्यन्त सम्मान से स्वागत किया और आराम से बैठने के बाद, शिवजी ने विधि-विधान से भगवान का पूजन किया और मुस्कुराते हुए इस प्रकार बोले।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.