श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 29-30
 
 
श्लोक  8.12.29-30 
 
 
सोपगूढा भगवता करिणा करिणी यथा ।
इतस्तत: प्रसर्पन्ती विप्रकीर्णशिरोरुहा ॥ २९ ॥
आत्मानं मोचयित्वाङ्ग सुरर्षभभुजान्तरात् ।
प्राद्रवत्सा पृथुश्रोणी माया देवविनिर्मिता ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  शिवजी द्वारा आलिंगित होकर, बिखरे हुए बालों वाली वह महिला साँप की तरह सरकने लगी। हे राजा, वही स्त्री जिसके नितम्ब ऊंचे और चौड़े थे, योगमाया थी जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने भेजा था। उसने किसी तरह शिवजी के आलिंगन से खुद को छुड़ाया और भाग गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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