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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना
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श्लोक 27
श्लोक
8.12.27
तामन्वगच्छद् भगवान् भव: प्रमुषितेन्द्रिय: ।
कामस्य च वशं नीत: करेणुमिव यूथप: ॥ २७ ॥
अनुवाद
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शिवजी की इन्द्रियां विचलित थीं और वे कामवासनाओं के वशीभूत होकर उनके पीछे चलने लगे, ठीक वैसे ही जैसे कोई मदमस्त हाथी हथिनी के पीछे चलता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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