श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  8.12.25 
 
 
तयापहृतविज्ञानस्तत्कृतस्मरविह्वल: ।
भवान्या अपि पश्यन्त्या गतह्रीस्तत्पदं ययौ ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  काम वासना के कारण स्त्री के साथ रमण करने की इच्छा से उनके विवेक ने साथ छोड़ दिया और वे उनके लिए इस कदर पागल हो उठे कि भवानी की उपस्थिति में भी वे उनके पास जाने से जरा भी नहीं हिचकते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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