श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  8.12.20 
 
 
दिक्षु भ्रमत्कन्दुकचापलैर्भृशंप्रोद्विग्नतारायतलोललोचनाम् ।
स्वकर्णविभ्राजितकुण्डलोल्ल‍सत्-कपोलनीलालकमण्डिताननाम् ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  उस स्त्री का चेहरा चौड़ी, सुंदर और बेचैन आँखों से सजा हुआ था, जो उसकी उछलती हुई गेंद के साथ यहाँ-वहाँ घूम रही थीं। उसके कानों पर चमकते हुए दो झुमके उसके चमकते गालों पर नीली प्रतिबिंब की तरह सजे हुए थे, और उसके चेहरे पर बिखरे बाल उसे देखने में और भी सुंदर बना रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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