श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  8.12.16 
 
 
तत्तेऽहं दर्शयिष्यामि दिद‍ृक्षो: सुरसत्तम ।
कामिनां बहु मन्तव्यं सङ्कल्पप्रभवोदयम् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे उत्तम देवताओं, अब मैं तुम्हें अपना वह रूप दिखाऊंगा जिसकी कामी पुरुषों द्वारा बहुत सराहना की जाती है। चूंकि तुम उस रूप को देखना चाहते हो, इसलिए मैं इसे तुम्हारे सामने प्रकट करूंगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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