श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 12: मोहिनी-मूर्ति अवतार पर शिवजी का मोहित होना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  8.12.13 
 
 
येन सम्मोहिता दैत्या: पायिताश्चामृतं सुरा: ।
तद् दिद‍ृक्षव आयाता: परं कौतूहलं हि न: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु! हम ने आपकी वो आकृति देखने के लिए यहाँ आकर प्रार्थना की है, वो आकृति जिसे आपने राक्षसों को पूरी तरह से मोहित करने के लिए दिखाई थी और इस तरह से आपने देवताओं को अमृत पान कराया था। मैं उसे आकृति को देखने के लिए अत्यंत उत्सुक हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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