श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  8.11.41 
 
 
गन्धर्वमुख्यौ जगतुर्विश्वावसुपरावसू ।
देवदुन्दुभयो नेदुर्नर्तक्यो ननृतुर्मुदा ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  विश्वावसु और परावसु नाम के दो गंधर्व सरदारों ने बहुत खुशी में गीत गाए। देवताओं ने ढोल-नगाड़े बजाए और अप्सराओं ने खुशी-खुशी नाच-गाना किया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.