श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  8.11.39 
 
 
तां दैवीं गिरमाकर्ण्य मघवान्सुसमाहित: ।
ध्यायन् फेनमथापश्यदुपायमुभयात्मकम् ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  इन्द्र ने अशुभ वाणी को सुनकर, बड़े मनोयोग से ध्यान करना शुरू किया कि इस असुर को किस तरह मारा जाए। तब उन्हें यह सूझा कि झाग ही ऐसा साधन है, जो न तो गीली होती है, और न ही सूखी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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