श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  8.11.38 
 
 
मयास्मै यद् वरो दत्तो मृत्युर्नैवार्द्रशुष्कयो: ।
अतोऽन्यश्चिन्तनीयस्ते उपायो मघवन् रिपो: ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  आकाशवाणी ने फिर कहा, "हे इंद्र! मैंने इस असुर को वरदान दे रखा है कि उसे किसी सूखे या गीले हथियार से नहीं मारा जा सकता है, इसलिए तुम्हें उसे मारने का दूसरा उपाय सोचना होगा।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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