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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार
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श्लोक 36
श्लोक
8.11.36
सोऽयं प्रतिहतो वज्रो मया मुक्तोऽसुरेऽल्पके ।
नाहं तदाददे दण्डं ब्रह्मतेजोऽप्यकारणम् ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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परंतु अब वही वज्र किसी तुच्छ असुर पर भी छोड़ने पर प्रभावहीन हो गया है। इसलिए ब्रह्मास्त्र जैसा होते हुए भी, मेरे लिए अब वह एक सामान्य डंडे जैसा व्यर्थ हो गया है। इसलिए अब मैं इसको धारण नहीं करूंगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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