श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  8.11.34 
 
 
येन मे पूर्वमद्रीणां पक्षच्छेद: प्रजात्यये ।
कृतो निविशतां भारै: पतत्‍त्रै: पततां भुवि ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  इन्द्र ने विचार किया: पहले के समय में जब कई पर्वत अपने पंखों द्वारा आकाश में उड़ते हुए पृथ्वी पर गिरते और लोगों को मार डालते थे तब मैं अपने इसी वज्र से उनके पंख काट देता था।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.