श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  8.11.29 
 
 
नमुचिस्तद्वधं द‍ृष्ट्वा शोकामर्षरुषान्वित: ।
जिघांसुरिन्द्रं नृपते चकार परमोद्यमम् ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन! जब असुर नमुचि ने बल और पाक नाम के दो अन्य असुरों को मरते हुए देखा तो वह दुख और शोक से भर गया। इसलिए उसने गुस्से में आकर इंद्र को मारने का एक बड़ा प्रयास किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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