श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  8.11.27 
 
 
निरीक्ष्य पृतनां देव: परैरभ्यर्दितां रणे ।
उदयच्छद् रिपुं हन्तुं वज्रं वज्रधरो रुषा ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  जब वज्रधर के नाम से जाने जाने वाले इंद्र ने देखा कि उनके सैनिक युद्ध के मैदान में शत्रुओं द्वारा इस तरह से प्रताड़ित किए जा रहे हैं, तो वह बहुत क्रोधित हो गए। इसलिए उन्होंने शत्रुओं को मारने के लिए अपना वज्र उठा लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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