श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  8.11.24 
 
 
सर्वत: शरकूटेन शक्रं सरथसारथिम् ।
छादयामासुरसुरा: प्रावृट्‌सूर्यमिवाम्बुदा: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  अन्य असुरों ने अपने बाणों के निरंतर प्रहार से इंद्र को उसके रथ और सारथी सहित ढक दिया, जैसे कि बरसात के मौसम में बादल सूर्य को ढक लेते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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