श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  8.11.22 
 
 
शताभ्यां मातलिं पाको रथं सावयवं पृथक् ।
सकृत्सन्धानमोक्षेण तदद्भ‍ुतमभूद् रणे ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  पाक नाम के एक और असुर ने अपने धनुष पर दो सौ बाण चढ़ाए और उन्हें एक साथ छोड़ा। उसने इन बाणों से सारथी मातलि सहित सभी साजो-सामान से भरे रथ पर हमला किया। युद्ध के मैदान में यह निस्संदेह एक अद्भुत कारनामा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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