श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 11: इन्द्र द्वारा असुरों का संहार  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  8.11.2 
 
 
वैरोचनाय संरब्धो भगवान्पाकशासन: ।
उदयच्छद् यदा वज्रं प्रजा हा हेति चुक्रुशु: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  जब परमशक्तिशाली इंद्र कुपित हुए और महाराज बलि को मार डालने के लिए अपने हाथ में वज्र को उठाया तो असुर "हाय-हाय" चिल्लाकर विलाप करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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