श्रीशुक उवाच
अथो सुरा: प्रत्युपलब्धचेतस:
परस्य पुंस: परयानुकम्पया ।
जघ्नुर्भृशं शक्रसमीरणादय-
स्तांस्तान्रणे यैरभिसंहता: पुरा ॥ १ ॥
अनुवाद
श्रीशुकदेव गोस्वामी ने कहा : उसके बाद, भगवान् श्रीहरि की परम कृपा से, इन्द्र, वायु आदि सारे देवता जीवित हो गये। इस प्रकार जीवित होकर सारे देवता उन्ही राक्षसों को बुरी तरह पीटने लगे जिन्होंने पहले उन्हें परास्त किया था।