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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध
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श्लोक 52
श्लोक
8.10.52
एवं दैत्यैर्महामायैरलक्ष्यगतिभीरणे ।
सृज्यमानासु मायासु विषेदु: सुरसैनिका: ॥ ५२ ॥
अनुवाद
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जब मायावी कार्यों में निपुण अदृश्य राक्षसों द्वारा युद्ध में इस तरह का जादुई माहौल बनाया जा रहा था, तब देवताओं के सैनिक उदासीन हो गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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