श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  8.10.51 
 
 
तत: समुद्र उद्वेल: सर्वत: प्रत्यद‍ृश्यत ।
प्रचण्डवातैरुद्धूततरङ्गावर्तभीषण: ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् हवाओं के प्रचण्ड झकोरों से क्षुब्ध समुद्री लहरें तथा भँवर, हर किसी की नजरों के सामने एक भीषण बाढ़ के रूप में चारों ओर प्रकट हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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