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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध
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श्लोक 50
श्लोक
8.10.50
सृष्टो दैत्येन सुमहान्वह्नि: श्वसनसारथि: ।
सांवर्तक इवात्युग्रो विबुधध्वजिनीमधाक् ॥ ५० ॥
अनुवाद
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महाराज बलि ने एक ऐसी प्रलयकारी अग्नि जलाई कि देवताओं की पूरी सेना जलने लगी। इस अग्नि के साथ तेज आँधियाँ भी चल रही थीं, जो उतनी ही विनाशकारी थीं जितनी कि संसार के अंत में आने वाली सांवर्तक अग्नि।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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