श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.10.5 
 
 
तत्र दैवासुरो नाम रण: परमदारुण: ।
रोधस्युदन्वतो राजंस्तुमुलो रोमहर्षण: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन! क्षीरसागर के तट पर देवताओं और असुरों के मध्य घनघोर युद्ध छिड़ गया। वह युद्ध इतना भयावह था कि केवल उसके बारे में सुनकर ही शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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