श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  8.10.46 
 
 
ततो निपेतुस्तरवो दह्यमाना दवाग्निना ।
शिला: सटङ्कशिखराश्चूर्णयन्त्यो द्विषद्बलम् ॥ ४६ ॥
 
अनुवाद
 
  दावाग्नि में जलते हुए पेड़ उस पर्वत से गिर रहे थे। उससे पत्थर की कुल्हाड़ी जैसी तीक्ष्ण धार वाले पत्थर-खण्ड भी गिरने लगे थे जिनसे देवताओं के सैनिकों के सिर फूट रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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