श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  8.10.45 
 
 
ससर्जाथासुरीं मायामन्तर्धानगतोऽसुर: ।
तत: प्रादुरभूच्छैल: सुरानीकोपरि प्रभो ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन! तदनंतर बलि महाराज अदृश्य हो गए और उन्होंने आसुरी माया का सहारा लिया। फिर देवताओं की सेना के सिर के ऊपर माया से उत्पन्न एक विशाल पर्वत प्रकट हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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