श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  8.10.44 
 
 
तत: शूलं तत: प्रासं ततस्तोमरमृष्टय: ।
यद् यच्छस्त्रं समादद्यात्सर्वं तदच्छिनद् विभु: ॥ ४४ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् बाली महाराज ने एक के बाद एक करके भाला, प्रास, तोमर, ऋष्टि तथा अन्य शस्त्र प्रहार किये, किन्तु वे जिस भी हथियार को उठाते थे, इन्द्रदेव उसे तुरंत ही टुकड़े-टुकड़े कर देते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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