श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  8.10.42 
 
 
स तानापतत: शक्रस्तावद्भ‍ि: शीघ्रविक्रम: ।
चिच्छेद निशितैर्भल्ल‍ैरसम्प्राप्तान्हसन्निव ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  इसके पूर्व कि बलि महाराज के बाण स्वर्ग के राजा इन्द्र तक पहुँचते, बाणों के संचालन में पारंगत इन्द्र ने मुस्कुराते हुए एक अन्य प्रकार के अत्यंत तीक्ष्ण भल्ल नामक बाणों द्वारा उन बाणों का निवारण कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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