त एवमाजावसुरा: सुरेन्द्रा
द्वन्द्वेन संहत्य च युध्यमाना: ।
अन्योन्यमासाद्य निजघ्नुरोजसा
जिगीषवस्तीक्ष्णशरासितोमरै: ॥ ३५ ॥
अनुवाद
ये सारे देवता और असुर लडाई के जोश से युद्धभूमि में एकत्रित हुए और बड़ी ताकत से एक-दूसरे पर हमला करने लगे। जीत की चाह में वे जोड़ियों में लड़ने लगे, और तेज बाणों, तलवारों और भालों से एक-दूसरे को बुरी तरह से चोट पहुँचाने लगे।