श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  8.10.35 
 
 
त एवमाजावसुरा: सुरेन्द्रा
द्वन्द्वेन संहत्य च युध्यमाना: ।
अन्योन्यमासाद्य निजघ्नुरोजसा
जिगीषवस्तीक्ष्णशरासितोमरै: ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  ये सारे देवता और असुर लडाई के जोश से युद्धभूमि में एकत्रित हुए और बड़ी ताकत से एक-दूसरे पर हमला करने लगे। जीत की चाह में वे जोड़ियों में लड़ने लगे, और तेज बाणों, तलवारों और भालों से एक-दूसरे को बुरी तरह से चोट पहुँचाने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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