श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 32-34
 
 
श्लोक  8.10.32-34 
 
 
वृषाकपिस्तु जम्भेन महिषेण विभावसु: ।
इल्वल: सह वातापिर्ब्रह्मपुत्रैररिन्दम ॥ ३२ ॥
कामदेवेन दुर्मर्ष उत्कलो मातृभि: सह ।
बृहस्पतिश्चोशनसा नरकेण शनैश्चर: ॥ ३३ ॥
मरुतो निवातकवचै: कालेयैर्वसवोऽमरा: ।
विश्वेदेवास्तु पौलोमै रुद्रा: क्रोधवशै: सह ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे अरिन्दम महाराज परीक्षित! शिवजी ने जम्भ से तथ विभावसु ने महिषासुर से युद्ध किया। इल्वल ने, अपने भाई वातापि सहित, ब्रह्मा के पुत्रों से युद्ध किया। दुर्मर्ष कामदेव से, उत्कल मातृका नामक देवियों से, बृहस्पति शुक्राचार्य से तथा शनैश्चर नरकासुर से युद्ध में भिड़ गए। मरुत्गण निवातकवच से, वसुओं ने दानव कालकेयों से, विश्वेदेवों ने पौलोम असुरों से तथा रुद्रगणों ने क्रुद्ध क्रोधवश असुरों से युद्ध किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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