श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध  »  श्लोक 30-31
 
 
श्लोक  8.10.30-31 
 
 
अपराजितेन नमुचिरश्विनौ वृषपर्वणा ।
सूर्यो बलिसुतैर्देवो बाणज्येष्ठै: शतेन च ॥ ३० ॥
राहुणा च तथा सोम: पुलोम्ना युयुधेऽनिल: ।
निशुम्भशुम्भयोर्देवी भद्रकाली तरस्विनी ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  अपरजित देवता ने नमुचि से जंग की, और अश्विनी कुमारों ने वृषपर्वा से लड़ाई की। सूर्यदेव ने महाराज बलि के सौ पुत्रों से युद्ध किया जिनमें से बाण प्रमुख थे। चन्द्रदेव राहु से भिड़े। वायुदेव ने पुलोमा से संघर्ष किया और शुम्भ और निशुम्भ ने भद्रकाली नामक अत्यन्त शक्तिशाली मायावी दुर्गा देवी से युद्ध किया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.