अपराजितेन नमुचिरश्विनौ वृषपर्वणा ।
सूर्यो बलिसुतैर्देवो बाणज्येष्ठै: शतेन च ॥ ३० ॥
राहुणा च तथा सोम: पुलोम्ना युयुधेऽनिल: ।
निशुम्भशुम्भयोर्देवी भद्रकाली तरस्विनी ॥ ३१ ॥
अनुवाद
अपरजित देवता ने नमुचि से जंग की, और अश्विनी कुमारों ने वृषपर्वा से लड़ाई की। सूर्यदेव ने महाराज बलि के सौ पुत्रों से युद्ध किया जिनमें से बाण प्रमुख थे। चन्द्रदेव राहु से भिड़े। वायुदेव ने पुलोमा से संघर्ष किया और शुम्भ और निशुम्भ ने भद्रकाली नामक अत्यन्त शक्तिशाली मायावी दुर्गा देवी से युद्ध किया।