वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 10: देवताओं तथा असुरों के बीच युद्ध
»
श्लोक 1
श्लोक
8.10.1
श्रीशुक उवाच
इति दानवदैतेया नाविन्दन्नमृतं नृप ।
युक्ता: कर्मणि यत्ताश्च वासुदेवपराङ्मुखा: ॥ १ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
शुकदेव गोस्वामी ने कहा : हे राजा! यद्यपि दानवों और दैत्यों ने पूरा ध्यान और प्रयास करके समुद्र का मंथन किया, परन्तु भगवान वासुदेव, परमेश्वर कृष्ण के भक्त न होने के कारण वे अमृत नहीं पी सके।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.