श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 1: ब्रह्माण्ड के प्रशासक मनु  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  8.1.6 
 
 
कृतं पुरा भगवत: कपिलस्यानुवर्णितम् ।
आख्यास्ये भगवान्यज्ञो यच्चकार कुरूद्वह ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे कुरुश्रेष्ठ! तीसरे स्कंद में मैंने देवहूति के पुत्र कपिल जी के कार्यों का वर्णन किया है। अब मैं आकूति के पुत्र यज्ञपति जी के कार्यों का वर्णन करूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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