श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 1: ब्रह्माण्ड के प्रशासक मनु  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.1.5 
 
 
आकूत्यां देवहूत्यां च दुहित्रोस्तस्य वै मनो: ।
धर्मज्ञानोपदेशार्थं भगवान्पुत्रतां गत: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  स्वायंभुव मनु की दो पुत्रियाँ थीं—आकूति और देवहूति। उनके पेट से भगवान् दो पुत्रों के रूप में प्रकट हुए जिनके नाम क्रमश: यज्ञमूर्ति और कपिल थे। इन पुत्रों को धर्म और ज्ञान का प्रचार करने का कार्यभार सौंपा गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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