श्रीऋषिरुवाच
मनवोऽस्मिन्व्यतीता: षट् कल्पे स्वायम्भुवादय: ।
आद्यस्ते कथितो यत्र देवादीनां च सम्भव: ॥ ४ ॥
अनुवाद
शुकदेव गोस्वामी ने कहा: इस वर्तमान कल्प में छह मनु हो चुके हैं। मैंने तुम्हें स्वायंभुव मनु और कई देवताओं के प्रकट होने के बारे में विवरण दिया है। ब्रह्मा के इस कल्प में स्वायंभुव पहले मनु हैं।