श्रीराजोवाच
बादरायण एतत् ते श्रोतुमिच्छामहे वयम् ।
हरिर्यथा गजपतिं ग्राहग्रस्तममूमुचत् ॥ ३१ ॥
अनुवाद
राजा परीक्षित ने कहा: हे बादरायणि प्रभु! हम आपसे विस्तार से सुनना चाहते हैं कि जब घड़ियाल द्वारा आक्रमण किये जाने पर हाथी के राजा(गजेन्द्र) को हरि ने किस प्रकार छुड़ाया था।