ईहते भगवानीशो न हि तत्र विसज्जते ।
आत्मलाभेन पूर्णार्थो नावसीदन्ति येऽनु तम् ॥ १५ ॥
अनुवाद
ईश्वर स्वयं में ही पूर्ण और ऐश्वर्यशाली हैं, फिर भी वे इस भौतिक संसार के सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। इस प्रकार से कार्य करते हुए भी वे कभी इसमें उलझते नहीं हैं। इसलिए जो भक्त उनके पदचिह्नों पर चलते हैं, वे भी कभी बंधन में नहीं पड़ते।