श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 9: प्रह्लाद द्वारा नृसिंह देव का प्रार्थनाओं से शान्त किया जाना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  7.9.6 
 
 
स तत्करस्पर्शधुताखिलाशुभ:
सपद्यभिव्यक्तपरात्मदर्शन: ।
तत्पादपद्मं हृदि निर्वृतो दधौ
हृष्यत्तनु: क्लिन्नहृदश्रुलोचन: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान नृसिंहदेव ने प्रह्लाद महाराज के मस्तक पर हाथ रखकर उन्हें सम्पूर्ण भौतिक अशुद्धियों और इच्छाओं से मुक्त कर दिया, मानो उन्हें अच्छी तरह से साफ कर लिया गया हो। इसलिए वह तुरंत आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त कर गये, और उनके शरीर में आनंद के सभी लक्षण प्रकट होने लगे। उनका हृदय प्रेम से भर गया, और उनकी आँखें आँसुओं से भर गईं, और इस प्रकार वह भगवान के चरण-कमलों को अपने हृदय में पूरी तरह से कैद करने में सक्षम हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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