श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 9: प्रह्लाद द्वारा नृसिंह देव का प्रार्थनाओं से शान्त किया जाना  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  7.9.54 
 
 
प्रीणन्ति ह्यथ मां धीरा: सर्वभावेन साधव: ।
श्रेयस्कामा महाभाग सर्वासामाशिषां पतिम् ॥ ५४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रिय प्रह्लाद, तुम सचमुच भाग्यशाली हो। यह जान लो कि जो लोग अत्यंत बुद्धिमान और उन्नत हैं, वे सभी तरह के मनमोहक तरीकों से मुझे प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, क्योंकि मैं ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति हूं जो हर किसी की सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता हूं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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