श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 9: प्रह्लाद द्वारा नृसिंह देव का प्रार्थनाओं से शान्त किया जाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  7.9.5 
 
 
स्वपादमूले पतितं तमर्भकं
विलोक्य देव: कृपया परिप्लुत: ।
उत्थाप्य तच्छीर्ष्ण्यदधात्कराम्बुजं
कालाहिवित्रस्तधियां कृताभयम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  जब नृसिंहेदव ने देखा कि छोटे से बालक प्रह्लाद महाराज ने चरमकमलों पर साष्टांग प्रणाम किया है, तो वे अपने भक्त के प्रति अत्यधिक भाव-विभोर हो उठे। प्रह्लाद को उठाते हुए उन्होंने अपना कर-कमल उस बालक के सिर पर रख दिया क्योंकि उनका हाथ हमेशा उनके सभी भक्तों में निर्भयता का संचार करने के लिए तैयार रहता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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