श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 9: प्रह्लाद द्वारा नृसिंह देव का प्रार्थनाओं से शान्त किया जाना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  7.9.36 
 
 
एवं सहस्रवदनाङ्‌घ्रिशिर:करोरु-
नासाद्यकर्णनयनाभरणायुधाढ्यम् ।
मायामयं सदुपलक्षितसन्निवेशं
द‍ृष्ट्वा महापुरुषमाप मुदं विरिञ्च: ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  तब ब्रह्माजी ने देखा आप हजारों मुख, पाँव, सिर, हाथ, जाँघ, नाक, कान और आँखों से युक्त थे। आपने सुन्दर वस्त्र धारण किए थे और तरह-तरह के आभूषणों और हथियारों से सुशोभित थे। आपको विष्णु के रूप में देखकर और आपके अद्भुत गुणों और निचले लोकों तक फैले हुए आपके चरणों को देखकर ब्रह्माजी को अलौकिक आनंद प्राप्त हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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