श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 9: प्रह्लाद द्वारा नृसिंह देव का प्रार्थनाओं से शान्त किया जाना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  7.9.3 
 
 
प्रह्रादं प्रेषयामास ब्रह्मावस्थितमन्तिके ।
तात प्रशमयोपेहि स्वपित्रे कुपितं प्रभुम् ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात्, ब्रह्माजी ने अपने निकट ही खड़े प्रह्लाद महाराज से प्रार्थना की और कहा, हे पुत्र! भगवान नृसिंहदेव तुम्हारे दानवी पिता पर बहुत क्रोधित हैं। अत: तुम आगे जाकर भगवान को शांत कर दो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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