श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 9: प्रह्लाद द्वारा नृसिंह देव का प्रार्थनाओं से शान्त किया जाना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  7.9.13 
 
 
सर्वे ह्यमी विधिकरास्तव सत्त्वधाम्नो
ब्रह्मादयो वयमिवेश न चोद्विजन्त: ।
क्षेमाय भूतय उतात्मसुखाय चास्य
विक्रीडितं भगवतो रुचिरावतारै: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, भगवान ब्रह्मा जी सहित सभी देवता आपके निष्ठावान सेवक हैं, क्योंकि वे परम पद पर स्थित हैं। अतः वे हम (प्रह्लाद और उनके असुर पिता हिरण्यकशिपु) के समान नहीं हैं। इस भयावह रूप में आपका अवतार स्वयं के मनोरंजन हेतु आपकी लीला है। ऐसा अवतार सदा ही ब्रह्मांड की रक्षा और उन्नयन (अभ्युदय) के लिए होता है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.