श्रीनारद उवाच
एवं सुरादय: सर्वे ब्रह्मरुद्रपुर: सरा: ।
नोपैतुमशकन्मन्युसंरम्भं सुदुरासदम् ॥ १ ॥
अनुवाद
महात्मा नारद मुनि ने आगे कहा: ब्रह्मा, शिव इत्यादि अन्य बड़े-बड़े देवताओं का साहस न हुआ कि वे उस समय भगवान के समक्ष जाएँ, क्योंकि तब वे अत्यधिक क्रोधित थे।