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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
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अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध
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श्लोक 41
श्लोक
7.8.41
श्रीरुद्र उवाच
कोपकालो युगान्तस्ते हतोऽयमसुरोऽल्पक: ।
तत्सुतं पाह्युपसृतं भक्तं ते भक्तवत्सल ॥ ४१ ॥
अनुवाद
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शिवजी ने कहा : कल्प के अंत में ही आपका क्रोध होता है। हे भक्तों पर दया करने वाले भगवान, अब जबकि यह तुच्छ राक्षस हिरण्यकश्यप मारा गया है, तो उसके पुत्र प्रह्लाद महाराज की रक्षा करें, जो आपके सामने खड़ा है और आपका पूर्ण शरणागत भक्त है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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