द्यौस्तत्सटोत्क्षिप्तविमानसङ्कुला
प्रोत्सर्पत क्ष्मा च पदाभिपीडिता ।
शैला: समुत्पेतुरमुष्य रंहसा
तत्तेजसा खं ककुभो न रेजिरे ॥ ३३ ॥
अनुवाद
नृसिंहदेव के सिर के बालों से हवाई जहाज बाहर के अंतरिक्ष और ऊंचे ग्रहों के सिस्टम में फेंक दिए गए। भगवान के कमल चरणों के दबाव के कारण पृथ्वी अपनी जगह से हिलती हुई प्रतीत हुई, और उनके असहनीय बल के कारण सभी पहाड़ और पर्वत ऊपर उछल पड़े। भगवान के शरीर की चमक के कारण आकाश और सभी दिशाओं की प्राकृतिक रोशनी कम हो गई ।