श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान  »  अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  7.8.31 
 
 
नखाङ्कुरोत्पाटितहृत्सरोरुहं
विसृज्य तस्यानुचरानुदायुधान् ।
अहन् समस्तान्नखशस्‍त्रपाणिभि-
र्दोर्दण्डयूथोऽनुपथान् सहस्रश: ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  अनेक भुजाओं वाले भगवान ने पहले हिरण्यकशिपु के सीने में घुसाए गए अपने नाखूनों से उसका ह्रदय निकाला और उसे एक ओर फेंक दिया। अब उन्होंने शेष असुर सैनिकों की ओर रुख किया। हजारों की तादाद में आए इन सैनिकों के हाथों में हथियार थे और वे हिरण्यकशिपु के बहुत निष्ठावान थे। किंतु भगवान नृसिंहदेव ने अपने नाखूनों की नोक से ही उन सबको मौत के घाट उतार दिया।
 
 
 
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