वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 7: भगवद्-विज्ञान
»
अध्याय 8: भगवान् नृसिंह द्वारा असुरराज का वध
»
श्लोक 27
श्लोक
7.8.27
तं मन्यमानो निजवीर्यशङ्कितं
यद्धस्तमुक्तो नृहरिं महासुर: ।
पुनस्तमासज्जत खड्गचर्मणी
प्रगृह्य वेगेन गतश्रमो मृधे ॥ २७ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब हिरण्यकशिपु नृसिंहदेव के हाथों से छूटा तो उसे मिथ्या विचार हुआ कि भगवान उसके शौर्य से डरा हुआ है। इसलिए, युद्ध से थोड़ा विश्राम करके उसने अपनी ढाल और तलवार निकाली और फिर से पूरी ताकत से भगवान पर आक्रमण कर दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.